केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश में तीन एक्सप्रेस-वे बनाने की
घोषणा की है, जिनमें पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे और बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे पर काम चल रहा है, जबकि गंगा एक्सप्रेस-वे पर अभी शुरू होना है। मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ ने 23 मई, 2020 को लखनऊ में अपने निवास पर संपन्न एक उच्च स्तरीय बैठक
में लॉकडाउन खत्म होने के बाद, गंगा एक्सप्रेस-वे समेत कई बड़ी परियोजनाओं पर काम शुरू करने के निर्देश दिये।
अमर उजाला में प्रकाशित एक खबर के अनुसार, सीएम ने बताया कि गंगा एक्सप्रेस-वे की निर्माण लागत 20,924 करोड़ रुपये है। इसके
लिए भूमि अधिग्रहण पर लगभग 9000 करोड़ रुपये का व्यय अनुमानित है। छह-लेन वाला यह एक्सप्रेस-वे मेरठ को प्रयागराज से जोड़ेगा। एक्सप्रेस-वे बनने के बाद उम्मीद है कि बिसौली और बिल्सी तहसील क्षेत्रों में
विकास की लहर तेज होगी। जब यातायात के साधन बढ़ते हैं तो कल-कारखानों, व्यापार और
कृषि कार्यों में प्रगति होती है। किसानों की उपज को दूर-दराज की मंडियों में
भेजना आसान हो जाता है और आसपास के क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ते हैं। इसी
के साथ बहुत संभव है कि वहां हम अपनी कृषि भूमि पर किसी तरह के कुछ नये प्रयोग
शुरू कर सकें, क्योंकि यह मेरे पैतृक गांव पलई के निकट होता हुआ जायेगा।
गंगा एक्सप्रेस-वे को मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने 29 जनवरी, 2019 को नये सिरे से लांच किया था। मूलत: इसकी योजना 2007 में बनी थी। यह अमरोहा, बुलंदशहर, बदायूं, दातागंज, शाहजहांपुर, फर्रुखाबाद, कन्नौज, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ से होकर जायेगा। निर्माण की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज इंडस्ट्रियल डवलपमेंट अथॉरिटी पर है।
इसका नाम गंगा एक्सप्रेस-वे क्यों पड़ा? दरअसल, पहले आठ-लेन वाला एक एक्सप्रेस-वे गंगा नदी के किनारे-किनारे ग्रेटर नोएडा से बलिया तक बनाने की योजना थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने केंद्र से पर्यावरण मंजूरी लेने की शर्त लगाकर प्रोजेक्ट रोक दिया था। योगी ने इस पर नये सिरे से काम प्रारंभ किया। पहले चरण में मेरठ से प्रयागराज जिले के मलवान खुर्द गांव तक 596 किलोमीटर लंबा निर्माण होना है। दूसरे चरण में, 110 किलोमीटर का एक राजमार्ग गढ़मुक्तेश्वर से हरिद्वार तक बनेगा और 314 किलोमीटर का दूसरा हिस्सा प्रयागराज से बलिया तक बनेगा। पूरे प्रोजेक्ट की कुल लंबाई 1020 किलोमीटर होगी।
मेरा गांव पलई बदायूं जिले में है, जिसकी तहसील बिसौली है। पलई की विडंबना यह रही कि यहां हजारों एकड़ खेती एक बरसाती झील में डूब जाती है, जिससे फसलें बर्बाद हो जाती हैं। यह समस्या आजादी से पहले से चली आ रही है। झील को पड़ोसी गांव सिंगथरा के नाम से भी जाना जाता है। बरसात के अलावा साल के बाकी महीनों में भी झील में पानी भरा रहता है। बाढ़ के पानी को नजदीकी सोत (Sot) नदी में डालने के लिए, मेरे अथक प्रयासों के बाद, 1980 के दशक में राज्य सरकार द्वारा एक नहर बनायी गयी। इसकी हर साल सफाई होनी चाहिए थी, जो नहीं हुई। फलस्वरूप यह नहर अब काम की नहीं रही है। आगामी बरसात के दिनों में पूरी खेती फिर से बाढ़ के पानी में डूब जायेगी। राज्य सरकार एवं बदायूं जिला प्रशासन को इस ओर तत्काल ध्यान देने और आवश्यक कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
बरसाती सीजन में झील का पानी सैकड़ों एकड़ क्षेत्र में मुख्य सड़क तक पसर जाता है। यह सड़क बदायूं को चंदौसी होते हुए मुरादाबाद व दिल्ली से जोड़ती है। सड़क खस्ता हाल है। कुछ साल पहले तक, खास तौर पर बिसौली से चंदौसी के बीच रास्ता बहुत ही खराब था। अब पता नहीं। गंगा एक्सप्रेस-वे से न सिर्फ पलई व आसपास के गांवों की किस्मत बदलेगी, बल्कि बदायूं जिले की अर्थव्यवस्था और विकास पर भी इसका अच्छा प्रभाव पड़ेगा।
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