पलई की मेरी रोचक यात्रा : सिद्धार्थ भदौरिया

           
Siddharth Bhadoriya (second from left) with the villagers at the DM office in Budaun

मैं प्रकाश फाउंडेशन एनजीओ की ओर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव पलई के लिए 31 जुलाई को चंडीगढ़ से रवाना हुआ। वहां के लोगों के बुलावे पर प्रकाश फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष ने मुझे वहां जाने और ठहरने का सारा प्रबंध कर जरूरी दिशा निर्देश देकर विदा किया। जैसा कि मुझे बताया गया था कि उस गांव के लोगों का मुख्य पेशा खेती है और वहां सिंग्थरा झील में पानी बढ़ने से पलई सहित आसपास के गांवों की फसलें डूब जाती है। झील का पानी करीब एक हजार एकड़ में फैली खेती को नष्ट कर देता है। मुझे वहां उन सभी भोले-भाले और कम पढ़े-लिखे लोगों की मदद करनी थी और उन्हें सही राह दिखाने का काम सौंपा गया था।

पलई गांव पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बदायूं जिले की बिसौली तहसील में हैं। दिल्ली से वहां तक जाने में बस से करीब छह घंटे लगते हैं। बदायूं के लिए दिल्ली में आनंद विहार बस अड्डे से 24 घंटे बस मिलती है। पलई गांव बदायूं मुख्यालय से करीब तीस किलोमीटर दूर है। दिल्ली से बदायूं जाने के दो रूट हैं, पहला वाया मुरादाबाद-चंदौसी और दूसरा वाया बुलंदशहर-नरौरा।

मैंनें दिल्ली से रात के दो बजे बदायूं के लिए वाया मुरादाबाद बस पकड़ी। सुबह करीब 8 बजे मैं बिसौली में था। यह स्थाना बदायंूं से 40 किलोमीटर पीछे है; और यहां से पलई गांव मात्र 12 किलोमीटर की दूरी पर है। बिसौली से सिंग्थरा-भमोरी मोड़ तक जहां से पलई के लिए मुड़ना था, सड़क के दोनो तरफ हरे भरे खेत और पेड़ देखने को मिले। यह पूरा इलाका हरियाली की चादर ओढ़े था।

Flooded Singthara Jheel in Bisauli tehsil of Budaun (UP)

पलई का प्रकृति दर्शन

बिसौली से पलई जाने के दौरान कई रोचक बातें देखने को मिलीं। जहां तहां सड़कों व पेड़ों पर वानर सेना का साम्राज्य दिखा। इसके बाद हम सिंग्थरा भमोरी मोड से पलई गांव के लिए मुड़े। पलई से पहले एक गांव पड़ता है सिंग्थरा। वहां से जैसे ही हम आगे बढ़े, हमारे दाहिनी ओर हजारों एकड़ जमीन चांदी की तरह चमकती दिखी। यह सिंग्थरा झील थी। झील का पानी इस पूरे क्षेत्र में हर साल बरसात में फैल जाता है और आस पास के हजारो एकड़ फसलों को डुबो देता है। सूरज की किरणें दूर तक खेतों में फैले झील के पानी पर पड़ कर चांदी की चादर की तरह चमक रही थी। वहां हमें खेतों में सारस भी दिखे। सबसे ज्यादा खुशी और आश्चार्य मुझे वहां के खेतों में मोर को देख कर हुआ। इस पूरे क्षेत्र में मोर देखने को मिल जाते हैं।



सफल रहा पलई मिशन

पलई पहुच कर सबसे पहले हमने वहां के लोगों से बात की और वहां के समस्या वाले इलाके का दौरा किया। फिर प्रकाश फाउंडेशन की और से हमने बदायूं जिलाधिकारी, बाढ़ खंड अधिकारी और अन्य संबंधित अधिकारियों के लिए एक ज्ञापन तैयार किया और ग्रामीणों के साथ अधिकारियों से मिलने बदायूं मुख्यालय के लिए निकल पडे़। वहां अधिकारियों से मिलकर लोगों की समस्या की ओर उनका ध्यान आकृष्ट किया। हमें कुछ आश्वासन मिले। साथ ही वहां के अखबारों का सहयोग भी मिला। वहां के मुख्य अखबारों ने हमारे इस मुददे को प्रमुखता से प्रकाशित किया।

Raju and Mukesh Yadav outside the SDM Bisauli office after submitting the memorandum



Email: prakashfoundation.india@gmail.com

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