चिकित्सकों से परामर्श करके ही आयुर्वेदिक औषधियां लें: आचार्य मनीष


कोविड के मोर्चे पर एक अच्छी खबर है। भारत में कोविड-19 से ठीक होने की दर लगभग 91 प्रतिशत हो गयी है, और इन मामलों में मृत्यु दर घटकर मात्र 1.5 प्रतिशत रह गयी है। इसका एक कारण है मोदी सरकार द्वारा लागू किया गया लॉकडाउन और स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर्स (एसओपी) का कड़ाई से पालन, जिसका मकसद ही था कोविड-19 का प्रसार कम करना।

प्रसिद्ध आयुर्वेदिक विशेषज्ञ - आचार्य मनीष, जिन्होंने आयुर्वेद के एक लेबल 'शुद्धि आयुर्वेद ' की स्थापना की है और चंडीगढ़ के पास जीरकपुर में जिसका कॉर्पोरेट कार्यालय है, उनका मानना है कि जहां तक कोविड-19 का सवाल है, मोदी सरकार द्वारा सोच-समझ कर लागू किये गये प्रतिबंधों के अलावा, भारत में एक और प्रमुख कारण है जिसके चलते  हमारी स्थिति अन्य देशों की तुलना में बहुत बेहतर है।

आचार्य मनीष ने कहा, 'निम्न मृत्यु दर, उच्च रिकवरी दर, मामलों की अल्प तीव्रता, और अधिकांश मामलों में कोई लक्षण दिखाई देना, आयुर्वेदिक औषधियों के उपयोग से की गयी प्रतिरक्षा-वृद्धि द्वारा संभव हुआ है। अब जब सर्दियों के मौसम में दूसरी लहर सामने है, और टीकाकरण अभी भी अनुमान के दायरे है, ऐसे में मुझे लगता है भारत में आयुर्वेद ही सबसे अच्छा टीका है जो कोविड-19 के खिलाफ काम कर रहा है। '

आचार्य मनीष ने श्वसन स्वास्थ्य में सुधार के लिए जड़ी-बूटी आधारित औषधियों के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद में कई विकल्प उपलब्ध हैं जो श्वसन प्रणाली को मजबूत करते हैं।

आचार्य मनीष ने कहा, 'यह समय की मांग है क्योंकि उत्तर भारत में पराली जलाने से उत्पन्न धुंए के कारण दिल्ली एनसीआर सहित उत्तर भारतीय शहरों के लोगों की श्वसन प्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, और कोरोना वायरस भी श्वसन तंत्र पर ही हमला करता है। '


आचार्य मनीष ने कहा, 'आयुष ने आधिकारिक तौर पर प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाले प्रोटोकॉल की घोषणा की है और हमारे शोध आधारित एवं आयुष अनुमोदित इम्युनिटी-बूस्टिंग पैक के माध्यम से आयुर्वेद के प्रसार के मामले में शुद्धि आयुर्वेद सबसे आगे है। इन उपायों के कारण भारत में कोविड-19 का बेहतर प्रबंधन हुआ है, जबकि भारत अत्यधिक आबादी वाला देश है। 

हालांकि, साथ ही आचार्य मनीष इस बारे में भी आगाह करते हैं कि आयुर्वेदिक औषधियां  चिकित्सकों के परामर्श से ही लेनी चाहिए।

आचार्य मनीष ने आगे कहा, 'खुद से औषधि लेने की सलाह नहीं दी जाती है, क्योंकि आयुर्वेद में विभिन्न स्वास्थ्य मापदंडों के अध्ययन और शरीर में पहले से मौजूद अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए ही विशेषज्ञ कोई इलाज निर्धारित करते हैं। आहार संबंधी भी कई पहलू हैं, जिनके परहेज या सेवन का सुझाव दिया जाता है और यह सब तभी संभव है जब कोई उचित परामर्श लेता है। '

आचार्य मनीष बताते हैं कि हालांकि अलग-अलग मेडिकल स्टोर पर बाजार में बिकने वाली ब्रांडेड आयुर्वेदिक दवाओं के कोई साइड इफेक्ट्स नहीं हैं, परंतु इन औषधियों के शत-प्रतिशत प्रभाव के लिए चिकित्सक से परामर्श आवश्यक है। औषधि लेने की अवधि, खुराक, आदि के बारे में एक विशेषज्ञ ही उचित मार्गदर्शन कर सकता है।

जहां तक शुद्धि आयुर्वेद का सवाल है, देश में इस लेबल के 125 से अधिक क्लीनिक हैं। सभी शुद्धि क्लीनिकों में अनुभवी चिकित्सकों को नियुक्त किया गया है, जो रोगी का पूरा इतिहास जानने के बाद ही औषधियां लिखते हैं। इसके बाद शरीर को डिटॉक्सिफाई करने के लिए विशेष रूप से योग करने की सलाह दी जाती है। इसके बाद अगला कदम होता है शरीर को फिर से ऊर्जावान बनाना। अंतिम चरण शरीर का उपचार करना है। सभी औषधियां इन मुख्य सिद्धांतों पर ही काम करती हैं।

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